आत्मा की यात्रा और महायुग का रहस्य आत्मा और युगों का संबंध नमस्कार मित्रों, यह तो हम सभी जानते हैं कि शास्त्रों मे चार युग बताए गए हैं। जिन में से अभी कलयुग चल रहा है। जो युग वर्तमान में गतिमान होता है, वह लोगों पर अपना प्रभाव भी डालता है। चार युगों में सत्युग, त्रेता, द्वापर तथा कलयुग हैं। यह चारों युग मिल कर एक महायुग का निर्माण करते हैं। सत्युग हर महायुग के प्रारंभ का दौर होता है। इसमें वही जीवात्माएँ जाती हैं जिनके कर्म पिछले महायुग के कलयुग तक काफी अच्छे होते हैं। अन्य सभी जीवात्माएँ महायुग के कलयुग के अंत में प्रलय में समा कर शरीर त्याग कर अपने अगले मनुष्य रूप में जन्म की प्रतीक्षा करती हैं। सत्युग से कलयुग की यात्रा पुन्य से पाप की यात्रा है। यह जीवात्माओं की परीक्षा है। युगों के बदलने के साथ जैसे जैसे पाप बढता रहता है, परीक्षा उतनी ही कठिन होती जाती है। जो जीवात्मा कलयुग के अंत तक माया के प्रभाव से दूर रह कर स्वयं को स्थिर रख पाती है, वही शुद्ध आत्मा कहलाती है और उसे परम् धाम बैकुंठ की प्राप्ति होती है। वही जीवात्मा मुक्त होती है। या कह सकते हैं कि वही इस परीक्षा में सफल
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