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Showing posts from March, 2020

क्या कर्म ही पूजा है

कर्म क्या कर्म ही पूजा है हमें अपने जीवन में भिन्न भिन्न स्तोत्रों से कई बार सुनने को मिलता है कि कर्म ही पूजा है और हम बिना कुछ सोचे समझे और जाने, कर्म करने निकल पडते हैं। क्या हमने कभी यह जानने की कोशिश भी की है कि क्या यह सच है, अगर सच है तो क्या हर प्रकार का कर्म पूजा है, अगर नहीं तो किस प्रकार का कर्म पूजा है। यह सब तो बाद की बातें हैं, अभी हमें यह जानना आवश्यक है कि सच में कर्म करना पूजा है या नहीं। अगर यह सच है तो ऐसा कहाँ लिखा है। हिन्दू मान्यताएँ मुख्यत: शास्त्रों में वर्णित तथ्यों पर आधारित होती है। आपको यह जान कर बहुत हैरानी होगी कि हिन्दू शास्त्रों की सबसे प्रमुख पुस्तक श्रीमदभगवतगीता में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा है कि कर्म ही पूजा है और न ही किसी शास्त्र मे ऐसा लिखा है। फिर हम पता नहीं क्यों बिना जाने समझे ही कर्म करने पर सारा ध्यान केन्द्रित करके कर्म-प्रधान जीवन जीना शुरू कर देते हैं। हमें यह जानना बहुत आवश्यक है कि कर्म क्या है। कर्म वह है जो हमें कर्म फल के बन्धन में बाँधे रखता है। जिसके फल स्वरूप हम अपने कर्मों के अनुसार सुख अथवा दुख भोगते हैं। ये कर्